बुधवार, 13 मई 2015

*वीर जवानों की गाथायें *












*******वीर जवानों की गाथायें *******[भाग- 1 ]
वीर जवानों की गाथायें,तुमको आज सुनाता हूँ ;
तूफानों में डटे रहे जो ,उनको शीश झुकता हूँ ;
कर्मपथ के वे अनुरागी ,मैं  तो उनका दास हूँ ;
उनकी ही आजादी में ,लेता खुलकर साँस हूँ ;
भारत माँ के प्रणय हेतु ,करता ये अहसास हूँ ;
गाकर गाथा उन वीरों की ,मन से मैं मुस्काता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें--------------------------
चढ़ चेतक पर राणा प्रताप ,हर-हर बम-बम बोले थे ;
काँप उठा था शत्रु सारा ,वीर शिवा जब डोले थे ;
मंगल पांडे की चिंगारी ,रंग आजादी लाई थी ;
लक्ष्मीबाई भी बन काली ,अंग्रेजों पर छाई थी ;
राजगुरु सुखदेव भगत ने, फांसी गले लगाई थी ;
शेखर की पिस्तौल के आगे, नतमस्तक हो जाता हूँ;
वीर जवानों की गाथायें--------------------------




गोविंदसिंह का बाज उडा था ,फुर-फुर-फुर-फुर नभ में ;
ऊधमसिंह भी कूद पड़ा था , आजादी की जंग में ;
तात्यां ने भी मरघट भेजा ,अंग्रेजों को रण में ;
पंजाब केसरी की केसर की,मधुर सुगन्धी फैली थी ;
लोह पुरुष की आँखें भी ,अंगारो सी दहकी थी ;
दुश्मन का सीना चीर धरे जो,उनकी गाथा कहता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें--------------------------

नेताजी के सम्भाषण की,एक अनोखी मौज थी ;
वीर बांकुरों से अलंकृत, आजाद हिन्द फ़ौज थी ;
आजादी के मतवालों की ,बढ़ती हिम्मत रोज थी ;
रणभूमि में  गर्जन करता, ऐसा सिंह एक था ;
भारत माँ की आजादी का उसका सपना नेक था ;
खून के बदले आजादी की ,पहेली एक बुझाता हूँ ;
वीर जवानों की गाथायें-------------------------
*******सुरेशपाल वर्मा 'जसाला '

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