सोमवार, 11 मई 2015

*निराश आदमी *

****निराश आदमी ****
एक आदमी हताश
बड़ा ही निराश
आँखों में पानी
आत्महत्या करने की ठानी,
फिर सोचने लगा कैसे दूँ प्राण अपने
सोचते-सोचते उसे ध्यान आया-
जंगल में एक नरभक्षी आया',
मैं भी उसके पास जाऊंगा
उसके भूखे पेट का निवाला बन-
 संसार से मुक्ति पाउँगा ,
इसी उद्देश्य -
पहुंच गया  वो जंगल प्रदेश
सो रहा था शेर -
वृक्ष के नीचे लेट,
नहीं की देरी -
जा खींची पूँछ केसरी ,
आई दहाड़  बेसुरी-
अरे जा चला जा यहाँ से ,
क्यूँ मरता है मेरे हाथों से ,

आदमी बोला -
नहीं मैं नहीं जाऊंगा ,
तेरे भूखे पेट का निवाला बन -
संसार से मुक्ति पाउँगा,
शेर बोला -
अरे नादान  !
इतना तो मैं जभी समझ गया था
 जब तूने मुझे, सोते को जगाया था
वही आदमी खींच सकता है मेरी पूंछ -
जो चाहता है करना दुनिया से कूच ,
अरे बेवकूफ !
मैं शेर हूँ ,जंगल का राजा हूँ ,
राजा कभी भीख नहीं लेता ,
इसलिए तू जा
मुझे नहीं चाहिए दान -
तेरे जैसे कायर की जान,
अगर मैं कायर का मांस खाऊंगा
तो मैं भी कायर हो जाऊंगा -
फिर मैं जंगल का राजा-
कैसे रह पाऊँगा ?
******सुरेशपाल वर्मा जसाला [दिल्ली]

  





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