शनिवार, 29 अगस्त 2015

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **(झूठे से झूठे )

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **(झूठे से झूठे )
मित्रों ! यह नया प्रयोग करने का प्रयास किया है ,,,,कृपया प्रतिक्रिया अवश्य दें ----
(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति दोहानुसार 13 +11 मात्राभार रखती है )-
*****दोहनुसार  मात्राक्रम प्रति पंक्ति -
4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1)
या
3+3+4+3 (1 2),,,,,,,3+3+2+3 (2 1 )
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झूठे से झूठे हुए ,,,,,,,,,,राजनीति  के लोग ;
लोग भोग में व्यप्त हैं ,अनाचार  का रोग ।
रोग पापमय  फल रहे ,,,,,,खाते अरबों माल ;
माल हमारे टैक्स का ,,,,,नंबर दो में भोग ।।

*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)



शुक्रवार, 28 अगस्त 2015

* माहिया *( मात्रिक छंद )

  ***माहिया ***( मात्रिक छंद )

 पंजाब का प्रसिद्ध लोग गीत है,,,वैसे तो इसमें श्रृंगार रस के दोनों पक्षों (संयोग और वियोग ) का समावेश होता है ,,,,लेकिन अब 

बढ़ते समय के साथ अन्य रस भी इसमें शामिल किये जाने लगे हैं,,, इस छंद में नायक और नायिका  की  नोंक-झोंक भी होती 

है,,,यह तीन पंक्तियों का छंद है  इसे  ''''टप्पा'''  भी कहते हैं 

  इसमें पहली और तीसरी पंक्तितों में 12 मात्राएँ अर्थात 2211222 / 222222 ,,,,,,दूसरी पंक्ति में 10 मात्राएँ अर्थात 211222 / 22222 होती हैं,,,

नीचे कुछ माहियों को देखिए--

[१]

हम प्रेम निभाते हैं 

सबको अपनाकर 

हम धोका खाते हैं 

[२]

तू सबका पालक है 

हर इक प्राणी को 

नव जीवन देता है 

[३]

जीवन विश्वास भरा 

बंधन राखी का 

रिश्ता अनुराग भरा 

[४]

उससे फरियाद करो 

संकट सकल कटें 

जब प्रभु को याद करो

*****सुरेशपाल वर्मा जसाला [दिल्ली]

गुरुवार, 27 अगस्त 2015

रक्षा बंधन पर सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक

**रक्षा बंधन पर सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **
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राखी तो है प्यार का ,,,अद्भुत सा विश्वास ;
वास-सुवासित प्रेम से ,रिश्तों में मधुमास ।
मास प्यार के बंध का ,,,,करे प्रेम बरसात ;
सात समन्दर पार भी ,भाई-मन में आस ।।

*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

रविवार, 23 अगस्त 2015

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **
मित्रों ! यह नया प्रयोग करने का प्रयास किया है,,,,कृपया प्रतिक्रिया अवश्य दें ----
(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति १३+११ मात्राभार रखती है )मुक्तक में तीसरी पंक्ति का तुकांत भिन्न होता है.
*****दोहा मात्राक्रम प्रति पंक्ति -
4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1)
या
3+3+4+3 (1 2),,,,,,,3+3+2+3 (2 1 )
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 ***तुलसी जी की जयंती पर विशेष***

[१]
तुलसी जी के कारने ,,,,,,,राम नाम की लूट ;
लूट सको तो लूट लो ,,,मोह-बँधन की छूट ।
छूट-छुटाये हरि मिलै ,मिलै स्वर्ग का धाम ;
धाम-नर्क से मुक्त हों ,पीकर हरि का घूँट ।।
[२]
मैं तुलसी का बावरा ,,,,,,,,,अद्भुत उसका काम ;
काम सभी को भा रहा ,,,,,,, भजते सब श्रीराम।
राम सलोने सार हैं ,,,,,,,,रामायण सियकन्त ;
सियकन्त कृपा सुभग अति,काटे फंद तमाम ।।

 *****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **(नया प्रयोग)

**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **
मित्रों ! यह नया प्रयोग करने का प्रयास किया है,,,,कृपया प्रतिक्रिया अवश्य दें ----
(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति १३+११ मात्राभार रखती है )मुक्तक में तीसरी पंक्ति का तुकांत भिन्न होता है.
*****दोहा मात्राक्रम प्रति पंक्ति -
4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1)
या
3+3+4+3 (1 2),,,,,,,3+3+2+3 (2 1 )
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[1]
माँ शारदे नमन तुम्हे, नमन अनेकों बार ;
बार-बार वंदन करूँ ,, शीश तुम्हारे द्वार ।
द्वार सजे हैं भाव से ,नेह-सुमन की माल ;
माल खजाने शब्द से,,करो ज्ञान विस्तार।

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[2]
मन गंगा का राज है ,दिल में है हरि- द्वार ;
द्वार हर्ष के खुल रहे ,,,,,ये जीवन का सार ।
सार रूप में यूँ कहें,,,,,,,,,,ईश्वर सबके साथ ;
साथ सभी के साथ से,,,,हो जीवन विस्तार।


*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
------------------[15 अगस्त 2015 ]

बुधवार, 12 अगस्त 2015

मुक्तक / muktak (कोई संसद को मंदिर कहता )

मुक्तक /  muktak
कोई संसद को मंदिर कहता,,,,,,,,, कोई अखाड़ा बना रहा,
कोई चर्चा जनता की करता,,,,,,,,,,, कोई नगाडा बजा रहा,
संसद मे असंसदीय चरित्र का,खुल्लम खुल्ला होता नृतन,
क्यूँ जनता हित को धर ताक पे, ये विपक्ष शोर मचा रहा !
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)