**सिंहावलोकनी दोहा मुक्तक **(झूठे से झूठे )
मित्रों ! यह नया प्रयोग करने का प्रयास किया है ,,,,कृपया प्रतिक्रिया अवश्य दें ----
(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति दोहानुसार 13 +11 मात्राभार रखती है )-
*****दोहनुसार मात्राक्रम प्रति पंक्ति -
4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1)
या
3+3+4+3 (1 2),,,,,,,3+3+2+3 (2 1 )
@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@@
झूठे से झूठे हुए ,,,,,,,,,,राजनीति के लोग ;
लोग भोग में व्यप्त हैं ,अनाचार का रोग ।
रोग पापमय फल रहे ,,,,,,खाते अरबों माल ;
माल हमारे टैक्स का ,,,,,नंबर दो में भोग ।।
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)
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(दोहे के साथ ,,,जिस शब्द से पँक्ति समाप्त होती है ,,उसी शब्द से अगली पंक्ति प्रारम्भ होती है ,,,हर पंक्ति दोहानुसार 13 +11 मात्राभार रखती है )-
*****दोहनुसार मात्राक्रम प्रति पंक्ति -
4 +4 +2 +3 (1 2 ),,,,,,4 +4+3 (2 1)
या
3+3+4+3 (1 2),,,,,,,3+3+2+3 (2 1 )
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झूठे से झूठे हुए ,,,,,,,,,,राजनीति के लोग ;
लोग भोग में व्यप्त हैं ,अनाचार का रोग ।
रोग पापमय फल रहे ,,,,,,खाते अरबों माल ;
माल हमारे टैक्स का ,,,,,नंबर दो में भोग ।।
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)