**''' कवितालोक रत्न सम्मान'''** एवं वीर-रस काव्य पाठ '''**
दिनाँक 26 अप्रैल 2015 को हिसार (हरियाणा) साक्षी रहा ,,वहां की हवा ,खुशबू साक्षी रही ,,वहां का कण-कण साक्षी रहा ,,कवितालोक शतकीय महाकुम्भ के ''एक अनूठे इतिहास का ''
मुझे भी इस ऐतिहासिक अवसर पर '''कवितालोक रत्न सम्मान''' के साथ-साथ वीर-रस का काव्य-पाठ करने का भी सुअवसर मिला ,,, मुझ पर उड़ेले गए अथाह स्नेह के लिए,, हिसार की धरा और वहां की सुधि जनता का हृदय की गहराइयों से अभिनंदन एवं वंदन करता हूँ,,,,आदरणीय यह सब आपकी शुभकामनाओं का प्रतिफल है ,,,जी आपका हृदय से अभिनंदन ,,,आपको भी तो मिला है आपको भी बहुत-बहुत बधाई
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@@@@@,,हम सब की ओर से निम्न सभी सफल आयोजन कर्ताओं का हृदयस्पन्दित आभार एवं इन्हें अंतस से अभिनन्दन -पुष्प समर्पित -----
***श्री गुमनाम कवि जी [एडमिन कवितालोक]
***श्री तिलक जैन जी [संयोजक ;;सम्मान समारोह एवं अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ,,हिसार]
***डा. शमीम शर्मा जी [मंच संचालिका ]
***डा. चंद्रशेखर जी [मंच सह संचालक]
{{{{मुझे भी इस ऐतिहासिक भूमि पर ''' कवितालोक रत्न सम्मान''' । }}}}
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