सोमवार, 11 मई 2015

**दोहा छंद**

**दोहा छंद**
माँ दुर्गा मुझ पर बहे ,करुणा की रसधार ;
संकट सारे कट भगैं ,मन हो शुद्ध विचार । [१]

मात कृपा ऐसी करो ,करूँ में सबसे प्यार ;
दुर्गा चंडी कालिके  ,,,कीजै नाश विकार । [२]

मैं पापों की गाठरी ;सदा बुद्धि से हीन ;
अष्ट भुजी के नाम से ;तरा-तरा मैं दीन । [३]

धन लौलुप तो हो गए ; मति -भ्रम दुर्बल दीन ;
माँ दुर्गा के कोप से,,,,,,, होते सब श्रीहीन ।[४]

माता-माता सब कहे ,सब ऊपर की बात ;
मन से अम्बे को जपें ,,,,कैसे हो आघात । [५]

*******सुरेशपाल वर्मा  जसाला [दिल्ली]

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