मंगलवार, 29 जुलाई 2014

 हायकु -----

मासूमियत
 निर्वस्त्र और ध्वस्त
 संस्कृति पस्त

रविवार, 27 जुलाई 2014

वर्ण पिरामिड -- [मेरी नव विधा ]---

मैं
 नहीं
 प्रेरित
 राजनीति-
 के तूफान से,
 खोदता हूँ गड्ढा-
 श्रम के कुदाल से ।
दोहा ----
मीठी -मीठी आंच पर ,
पकती  मीठी खीर ।
मीठे- मीठे बोल से ,
घटती मन की पीर ।।
वर्ण पिरामिड [नव विधा ]---
हे
पार्थ
धनुष
और बाण -
 संधान कर,
विषैली अति का-
 भू से विनाश कर ।
वर्ण पिरामिड [मेरी  नव विधा ] --------
[प्रथम पंक्ति में -1 ,द्वितिय में- 2 ,तृतीय में- 3 ,चतुर्थ में- 4 ,पंचम में- 5 ,षष्ठम
में- 6 और सप्तम में -7 वर्ण होते है ---
हे
प्रभु
दो हमे -
सेवा- शक्ति
अद्भुत -भक्ति
पुष्प सा हर्षित -
हो तन मन सारा ।

गुरुवार, 3 जुलाई 2014

माँ -
माँ   तू   बडी   सरल    है  ;
दिल  का  खिला  कमल है ।

गीता  बाइबिल  कुरान  का ;
जीवन   सधा    अमल    है ।

 पतझर   में    पल्लव   सा ;
अद्भुत   प्यार    नवल     है ।

भटके  को  पथ  दिखलाय ;
तू   वो   चन्द्र    धवल    है ।

घिर  जाएं  वेदना  के  मेघा ;
तब  तू   तूफान   सबल   है। 

माँ   तू   बडी   सरल    है  ;
दिल  का  खिला  कमल है ।