माय वर्ल्ड ऑफ़ इमेजिनेशन
सोमवार, 11 मई 2015
*****गाँव पर एक मुक्तक *****
*****गाँव पर एक मुक्तक *****
मेरे मन की आहों को,,,,,, जहाँ विश्राम मिले ;
मेरे तन की पीड़ा को,,,,,, जहाँ आराम मिले ;
ऐसा है गाँव सजीला ,,,,,,,,हरे कष्ट सभी का ;
अपनेपन की सरिता तो ,वहाँ अविराम मिले।
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला [दिल्ली]
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