बुधवार, 29 जुलाई 2015

मुक्तक (muktak)

******मुक्तक ******
( हर आतंकी को फांसी दो ,,फांसी का विरोध करे जो,,उसको भी फांसी दो )















आतंकी की फांसी पर भी ,राजनीति गरमाती है ;
हमदर्दी रखने वालों को ,शरम क्यों नहीं आती है ;
भारत माँ पर कट्टर दुश्मन ,करते हैं आघात सदा ;
चुन-चुन मारो गद्दारों को,फांसी राह दिखाती है।


*****सुरेशपाल वर्मा जसाला [दिल्ली]

1 टिप्पणी:

  1. ( हर आतंकी को फांसी दो ,,फांसी का विरोध करे जो,,उसको भी फांसी दो )

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