बुधवार, 12 अगस्त 2015

मुक्तक / muktak (कोई संसद को मंदिर कहता )

मुक्तक /  muktak
कोई संसद को मंदिर कहता,,,,,,,,, कोई अखाड़ा बना रहा,
कोई चर्चा जनता की करता,,,,,,,,,,, कोई नगाडा बजा रहा,
संसद मे असंसदीय चरित्र का,खुल्लम खुल्ला होता नृतन,
क्यूँ जनता हित को धर ताक पे, ये विपक्ष शोर मचा रहा !
*****सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)


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