शनिवार, 16 जनवरी 2016
रविवार, 10 जनवरी 2016
गुरुवार, 7 जनवरी 2016
बुधवार, 21 अक्टूबर 2015
विजय दशमी
**आप सभी को विजय दशमी की हार्दिक शुभकामनाये**
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अम्बर-तल में हर्षित पल-पल ,पर्व विजय दशमी का पावन
दुर्गे अम्बे पाप नाशिनी ,,,,,,,,,, करती निर्भय ये जग कानन
मर्यादामय अन्तर वासित ,,,,,,,,कीनी धरा निर्भय सुवासित
वानर सँग कूदे लंका बिच ,,,,,,,,,,, संहारे दुष्ट दानव रावण
*******सुरेशपाल वर्मा 'जसाला' (दिल्ली )
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अम्बर-तल में हर्षित पल-पल ,पर्व विजय दशमी का पावन
दुर्गे अम्बे पाप नाशिनी ,,,,,,,,,, करती निर्भय ये जग कानन
मर्यादामय अन्तर वासित ,,,,,,,,कीनी धरा निर्भय सुवासित
वानर सँग कूदे लंका बिच ,,,,,,,,,,, संहारे दुष्ट दानव रावण
*******सुरेशपाल वर्मा 'जसाला' (दिल्ली )
सोमवार, 19 अक्टूबर 2015
सम्मानित मित्रों !! सोचिये
सम्मानित मित्रों !! सोचिये ----
****दादरी (उप्र ) और कर्नाटका की घटना पर, सोची समझी साजिश के तहत साहित्यकार सम्मान लौटाते हैं ,,,
*****आतंकियों की बेरहम घटना पर चुप्पी साध लेते हैं ,,
*****1984 के दंगों के बाद कहाँ थे ये मान्यवर ,, *****मुंबई हत्या कांड के समय कहाँ गायब थे ये लोग ,,,,
*****बाटला हाउस कांड (दिल्ली) के समय क्यों आखे बंद थी ,,,,
*****उप्र सरकार जब दंगा पीड़ितों के साथ भी जाति का खेल खेल रही थी ,एक जाति विशेष को ही मुआवजा दे रही थी तो तब क्यों मानवता दिखाई नहीं दी इन्हें ,,,
*****कोई चुपचाप मांसाहारी पार्टी दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता ,लेकिन जब कोई सिरफिरा ऐलान के साथ ऐसी पार्टी देता है तो उसका उद्देश्य शांति भंग करना ही हो सकता ,तब क्यों नहीं बोलते ये लोग ,,,
*****इससे इनकी नियत में खोट नजर आता है ,यही सोचने का प्रश्न है साथियों।
****दादरी (उप्र ) और कर्नाटका की घटना पर, सोची समझी साजिश के तहत साहित्यकार सम्मान लौटाते हैं ,,,
*****आतंकियों की बेरहम घटना पर चुप्पी साध लेते हैं ,,
*****1984 के दंगों के बाद कहाँ थे ये मान्यवर ,, *****मुंबई हत्या कांड के समय कहाँ गायब थे ये लोग ,,,,
*****बाटला हाउस कांड (दिल्ली) के समय क्यों आखे बंद थी ,,,,
*****उप्र सरकार जब दंगा पीड़ितों के साथ भी जाति का खेल खेल रही थी ,एक जाति विशेष को ही मुआवजा दे रही थी तो तब क्यों मानवता दिखाई नहीं दी इन्हें ,,,
*****कोई चुपचाप मांसाहारी पार्टी दे तो कोई फर्क नहीं पड़ता ,लेकिन जब कोई सिरफिरा ऐलान के साथ ऐसी पार्टी देता है तो उसका उद्देश्य शांति भंग करना ही हो सकता ,तब क्यों नहीं बोलते ये लोग ,,,
*****इससे इनकी नियत में खोट नजर आता है ,यही सोचने का प्रश्न है साथियों।
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