शनिवार, 16 जनवरी 2016

विनाशी मानव

*******सचित्र  रचना*******
@@@@@ ==विनाशी मानव== @@@@@
अणु परमाणु का खेल खेलता ,खुद झंझट में फँसता
अस्त्र-शस्त्र की होड़ में पड़कर ,सर्वनाश पर हँसता
एकल जीवन धारी धरती को ,लील रहा तू पलपल
क्यूँ सन्देहों से भ्रमित होकर ,जग पर अंकुश कसता

*******सुरेशपाल वर्मा जसाला (दिल्ली)

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